पटना : केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान अब सीधे तौर पर बिहार की राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। उनका इरादा इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का है, जिसे लेकर एनडीए खेमे में हलचल तेज हो गई है।
हालांकि चिराग ने साफ किया है कि उनका चुनाव लड़ना कोई निजी महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि आखिरी फैसला पार्टी के संसदीय बोर्ड और गठबंधन की सहमति से लिया जाएगा।
चिराग ने क्या कहा?
“यह पहली बार नहीं है जब मैं कुछ नया प्रयोग करने जा रहा हूं। पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और स्ट्राइक रेट बढ़ाने के मकसद से यह विचार आया है। बीजेपी और कई राष्ट्रीय पार्टियां भी अपने शीर्ष नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतार चुकी हैं।”
चिराग ने यह भी जोड़ा कि यदि गठबंधन की राय और पार्टी का हित उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति देगा, तो वह पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे।
एनडीए में उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, चिराग के इस फैसले से बीजेपी और जेडीयू दोनों में असहजता है। 2020 में जेडीयू को चिराग की रणनीति से नुकसान हुआ था और अब जब वह खुद विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, तो इसे सीएम पद की महत्वाकांक्षा से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
क्या यह रणनीति बदलेगी समीकरण?
अगर चिराग विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो लोजपा (रामविलास) के भीतर और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा आ सकती है। साथ ही एनडीए में सीट शेयरिंग और नेतृत्व को लेकर नए समीकरण बन सकते हैं, यह कदम चिराग को बिहार की सियासत में सीधे सीएम पद की दौड़ में खड़ा कर सकता है, भले ही वे इससे इनकार कर रहे हों।
अब सबकी नजरें लोजपा (रामविलास) के संसदीय बोर्ड की बैठक पर टिकी हैं, जहां से चिराग की उम्मीदवारी पर मुहर लग सकती है।
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