लातेहार : झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। राज्य के अलग अलग जिलों – चाईबासा, लातेहार और बोकारो में बीते पांच महीनों में सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में बड़ी सफलता मिली है। इस अवधि में कुल 17 नक्सलियों और उग्रवादियों को मुठभेड़ों में मार गिराया गया है। 2006-07 में प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जन्म मुक्ति परिषद का सुप्रीमो पप्पू लोहरा उर्फ सोमदेव लोहरा मुठभेड़ में मारा गया. सुप्रीमो पप्पू लोहरा पर पलामू, गढ़वा और लातेहार में दर्जनों नक्सली घटनाओं को अंजाम देता था.
मारे गए उग्रवादियों में कई कुख्यात और इनामी नक्सली शामिल थे। इनमें एक करोड़ रुपये के इनामी एक नक्सली, 25 लाख के एक, 15 लाख के एक और 10 लाख रुपये के दो इनामी उग्रवादी भी मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि साल 2025 में अब तक की यह सबसे बड़ी सफलता है, जो पिछले पांच वर्षों के मुकाबले सबसे प्रभावशाली कार्रवाई के रूप में सामने आई है।
आंकड़ों में झारखंड की नक्सल विरोधी सफलता:
2020: 18 नक्सली ढेर
2021: 8 नक्सली
2022: 12 नक्सली
2023: 14 नक्सली
2024: 11 नक्सली
2025 (मई तक): 17 नक्सली मारे जा चुके हैं
हालांकि इन अभियानों में सुरक्षा बलों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले पांच वर्षों में कुल 20 जवान शहीद हुए हैं।
नक्सलवाद सिमटा, अब सिर्फ पांच जिले प्रभावित:
राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई के चलते झारखंड में अब केवल पांच जिले (गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम) ही नक्सल प्रभाव की चपेट में हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जारी सूची के अनुसार, देश के सर्वाधिक प्रभावित 12 जिलों में झारखंड का सिर्फ पश्चिमी सिंहभूम ही शामिल है।
जानकारों का कहना है कि राज्य में नक्सल समस्या अब 95 फीसदी तक खत्म हो चुकी है। बचे हुए क्षेत्रों में भी नक्सली अब छोटे-छोटे समूहों में बंट गए हैं और संगठित गतिविधियों की बजाय आगजनी और व्हाट्सएप कॉल के जरिए व्यापारियों से रंगदारी की मांग जैसे छिटपुट अपराधों में संलग्न हैं।