नहीं, ममता बनर्जी को जेल जाने की जरूरत नहीं है – योग्य शिक्षकों को न्याय देने के लिए बस इतना करना होगा
कोलकाता, अप्रैल 10, 2025 – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बयान देकर राजनीतिक हलचल मचा दी, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर योग्य शिक्षकों का समर्थन करने के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़े तो वह तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 25,753 शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द किए जाने के बाद यह बयान आया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई ममता को जेल जाने की जरूरत है? नहीं। इसके बजाय, उनके पास एक और अधिक सरल, प्रभावशाली और न्यायपूर्ण विकल्प है – योग्य और बेदाग शिक्षकों को राहत देना।
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क्या है पूरा मामला?
2016 की राज्य स्तरीय शिक्षक भर्ती परीक्षा में बड़ी संख्या में अनियमितताएं सामने आईं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें भर्ती प्रक्रिया को “दूषित” करार दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप 25,753 शिक्षकों की नियुक्तियाँ रद्द कर दी गईं, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया।
SSC (School Service Commission) ने दावा किया कि इनमें से करीब 5,300 नियुक्तियां संदिग्ध थीं, जबकि शेष लगभग 19,000 शिक्षक “योग्य होने की संभावना” के तहत चुने गए थे। इसका सीधा मतलब है कि इन 19,000 शिक्षकों को सिर्फ प्रशासनिक चूक और भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
ममता बनर्जी की भावनात्मक अपील
ममता ने कोलकाता में एक सभा के दौरान कहा, “अगर मुझे योग्य शिक्षकों के समर्थन के लिए जेल जाना पड़े, तो मैं तैयार हूं।” यह बयान भले ही राजनीतिक सहानुभूति बटोरने के लिए दिया गया हो, लेकिन यह मुद्दे के समाधान से ज्यादा एक प्रतीकात्मक कदम है। अगर ममता सच में इन योग्य शिक्षकों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें न्यायपालिका के निर्देशों का पालन करते हुए पारदर्शी और न्यायसंगत पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
आसान समाधान क्या है?
- 19,000 योग्य उम्मीदवारों की अलग सूची तैयार करें:
राज्य सरकार को तुरंत योग्य उम्मीदवारों की सूची सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अलग से पेश करनी चाहिए, जिन पर किसी प्रकार की भर्ती अनियमितता का आरोप नहीं है। - फास्ट-ट्रैक पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें:
इन योग्य उम्मीदवारों की पुनर्नियुक्ति के लिए एक पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया लागू की जानी चाहिए ताकि उन्हें मानसिक और आर्थिक पीड़ा से राहत मिल सके। - ओएमआर (OMR) और मेरिट डेटा सार्वजनिक करें:
भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए OMR शीट्स और मेरिट लिस्ट को सार्वजनिक किया जा सकता है, जिससे उम्मीदवारों को न्याय मिल सके। - भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करें:
भर्ती प्रक्रिया में दोषी पाए गए SSC अधिकारियों और अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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भाजपा और विपक्ष का आरोप
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को “दागी” और “योग्य” शिक्षकों की अलग-अलग सूची नहीं सौंपी। उनका यह भी कहना है कि ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर भी भर्ती घोटाले में शामिल होने के आरोप हैं।
यह सिर्फ एक घोटाला नहीं – यह लाखों छात्रों का भविष्य है
यह केवल भ्रष्टाचार या राजनीतिक मुद्दा नहीं है – यह उन लाखों छात्रों का भी सवाल है, जिनकी शिक्षा पर योग्य शिक्षकों की छंटनी का सीधा असर पड़ा है। स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है और योग्य शिक्षक मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।