Ranchi: राजधानी रांची में भूमि संबंधित मामलों में फर्जीवाड़ा अब एक आम बात होती जा रही है। इस बीच एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सरकारी जमीन के नक्शे बिना किसी वैध प्रक्रिया के खुलेआम बेचे जा रहे हैं। यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा और पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
कचहरी के आसपास चल रहा “नक्शा बाजार”
सूत्रों के मुताबिक, रांची कचहरी परिसर के आसपास स्थित कुछ डिजिटल सेवा केंद्रों, प्रज्ञा केंद्रों और निजी जेरॉक्स दुकानों पर 200 से 500 रुपये में झारखंड के विभिन्न जिलों, अंचलों और यहां तक कि प्लॉट-स्तर के नक्शे बेचे जा रहे हैं। इन नक्शों को कोई भी व्यक्ति बिना आवेदन, पहचान प्रमाण या वैध अनुमति के आसानी से प्राप्त कर सकता है।
प्रक्रिया को किया जा रहा नजरअंदाज
सरकारी प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी जमीन का नक्शा प्राप्त करने के लिए बंदोबस्त कार्यालय में फॉर्म भरना आवश्यक होता है। इसमें आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, अंचल, मौजा और नक्शे का प्रकार जैसे विवरण देना होता है। साथ ही, 200 रुपये की रसीद जमा करनी पड़ती है और प्रक्रिया में आमतौर पर दो से तीन दिन का समय लगता है। लेकिन जेरॉक्स दुकानों पर यह प्रक्रिया पूरी तरह दरकिनार की जा रही है।
सरकारी मशीन बंद, फिर भी बाजार में नक्शे उपलब्ध
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बंदोबस्त कार्यालय की नक्शा छपाई मशीन पिछले 15 दिनों से खराब है। हेड पेशकार सत्येंद्र कुमार के अनुसार, मशीन की मरम्मत के लिए आवेदन दिया जा चुका है। बावजूद इसके, नक्शों की खुलेआम बिक्री सवाल खड़े करती है कि जब सरकारी व्यवस्था ठप है, तो ये नक्शे आखिर बाजार में कहां से आ रहे हैं?
प्रशासनिक हस्तक्षेप की जरूरत
इस पूरे मामले ने झारखंड के भूमि प्रबंधन तंत्र की विश्वसनीयता को झकझोर कर रख दिया है। यह जरूरी हो गया है कि जिला प्रशासन और राजस्व विभाग इस पर तत्काल संज्ञान लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, नक्शों की अवैध बिक्री रोकने के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र विकसित किया जाए।