Ranchi: झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत लगभग 700 असिस्टेंट प्रोफेसर बीते 17 वर्षों से पदोन्नति से वंचित हैं। अब इस मुद्दे पर झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी कुलपतियों को 15 दिनों के भीतर स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से प्रमोशन प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है।
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जेपीएससी ने स्पष्ट किया है कि केवल कुलपति की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा सत्यापित Academic Performance Indicator (API) स्कोर के आधार पर ही प्रस्ताव स्वीकार किए जाएंगे। पूर्व में रजिस्ट्रार या प्राचार्य के माध्यम से भेजे गए प्रस्तावों को आयोग ने मान्यता नहीं दी थी। साथ ही, जिन प्रस्तावों में व्हाइटनर या पेंसिल का प्रयोग किया गया है, उन्हें संशोधित कर दोबारा भेजना होगा।
JPSC: शिक्षकों को एपीआई के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है
झारखंड विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (JUTA) के संयोजक कंजीव लोचन ने आयोग की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि अब शिक्षकों को एपीआई के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से अपील की है कि समय सीमा के भीतर प्रस्ताव भेजकर शिक्षकों को उनका हक दिलाएं। 17 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे कई शिक्षकों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि यदि समय पर पदोन्नति होती, तो वे अब तक प्रोफेसर बन चुके होते। वर्तमान में भी उनका ग्रेड पे वही है, जो नियुक्ति के समय था।












