Ranchi: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन INDIA में दरार की आहट सुनाई देने लगी है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अब बिहार में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है।बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बड़ा संकेत दिया है। पार्टी के प्रवक्ता डॉ. तनुज खत्री ने स्पष्ट किया है कि JMM राज्य में अकेले चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। इसकी वजह INDIA गठबंधन की रणनीति से नाराज़गी है। तनुज खत्री ने आरोप लगाया कि गठबंधन की तीन प्रमुख बैठकों में JMM को आमंत्रित तक नहीं किया गया, जबकि पार्टी झारखंड और सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति रखती है,,
JMM की इस नाराजगी का सीधा असर सीमावर्ती जिलों की कई विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है, जहां झामुमो का परंपरागत जनाधार है। इन इलाकों में पार्टी आदिवासी और दलित वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखती है। अगर JMM अलग चुनाव लड़ती है, तो RJD और कांग्रेस को इन सीटों पर भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि JMM को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि वह झारखंड ही नहीं, बिहार के कई हिस्सों में भी सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय रही है।
JMM के इस फैसले से INDIA गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े हो गए हैं। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो सीमावर्ती सीटों पर विपक्षी वोटों का बंटवारा होगा, जिससे BJP और NDA को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल सकता है। विपक्षी एकता के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। JMM के इस रुख से RJD और कांग्रेस को सीमावर्ती सीटों पर खासा नुकसान हो सकता है, जहां JMM का पारंपरिक जनाधार मौजूद है। यदि JMM अलग चुनाव लड़ती है तो वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है, जिससे भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है।
JMM की नाराज़गी INDIA गठबंधन के लिए खतरे की घंटी है। अगर मसला नहीं सुलझा तो बिहार में विपक्षी एकता की नींव कमजोर हो सकती है और इसका सीधा फायदा NDA को मिल सकता है।
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